चिड़िया का संसार

एक अकेली चिड़िया का भी,
अपना सुन्दर संसार है!
सतरंग लिये तन बदन में,
इक नया निखार है !!
सुन्दर पेड़ पहाड़ों से ,
इसको भी प्यार है!
करती होगी चिंतन ये भी,
जीवन प्रभु अनुसार है!!
सुनो कभी तन्हाई में,
मधुर मीठी तानहै!
दाना पानी डाल के देखो ,
उनके भी उदगार है!!
तिनका तिनका बीन ,
सुन्दर सृजन तार है !
सुबह सुबह चहकना देखो ,
वाध्य वृन्द समान है!
कल्पना की दुनिया में,
अनुपम जीवन सार है!
दिव्य दृष्टि "सुरंग" पास ,
बहार ही बहार है !!
डी.सी. देवड़ा "सुरंगानंद'
